ओमप्रकाश वाल्मीकि को विनम्र श्रद्धाँजलि
(साथी रतिनाथ योगेश्वर की टिप्पणी के साथ वाल्मीकि जी की शुरूआती दौर की कविता के साथ लिखो यहां वहां की विनम्र श्रद्धाँजलि) बहुत ही प्यारे इन्सान बड़े भाई ओमप्रकाश बाल्मीकि का वो स्नेह अब...
View Articleओम प्रकाश वाल्मीकि पर विजय गौड़
मनहूस खबरें लड़ने नहीं देतीं: विजय गौड़(देहरादून वह शहर है जहाँ ओम प्रकाश वाल्मीकि ने एक कवि के रूप में अपनी यात्रा शुरू करते हुये हिन्दी समाज के सामने प्रमुख दलित चिन्तक और कथाकार के रूप में ख्याति...
View Articleभारत दुनिया का सबसे जीवन्त लोकतन्त्र है:पुरूषोत्तम अग्रवाल
द दस फरवरी को देहरादून शहर की अलसाई बौद्धिक दुनिया का सन्नाटा तोड़ते हुए आचार्य गोपेश्वर कोठियाल व्याख्यानमाला के पहले संस्करण में “लोकतन्त्र का भविष्य” पर जोरदार चर्चा हुई. खचाखच भरे टाउन हाल में...
View Articleनीलकण्ठ यहाँ कहाँ से?-यादवेन्द्र
(नीलकण्ठ जैसे पक्षी जमारे जीवन से दूर होते जा रहे हैं,प्रस्तुत है सह्रदय वैज्ञानिक और इस ब्लाग के सहलेखक यादवेन्द्र का संवेदनशील आलेख)आज दोपहर धूप में कुर्सी डाल कर पीछे के आँगन में बैठा खाना खा रहा...
View Articleशुद्ध साहित्यिक पुस्तकों वाली सरकारी खरीद से अलग
मंचों से हास्य की बहुत क्षणिक फुहार बिखरने वाले कवियों के रूप्ा में ही मैं काका हाथरसी का जानता रहा। हिन्दुस्तानी कला, संगीत के प्रति उनके गहरे अनुराग वाली गम्भीरता से मेरा कोई परिचय न था। मैं तो...
View Articleमध दा ने कर दी है दिन की शुरूआत
विजय गौड़गांव और शहर दो ऐसे भूगोल हैं जो मनुष्य निर्मित हैं। उनकी निर्मिति को मैदान, पहाड़ और समुद्र किनारों की भौगोलिक भिन्नता की तरह नहीं देखा जा सकता। भिन्नता की ये दूसरी स्थितियां प्रकृति जनक हैं।...
View Articleयह पेड़ों के कपड़े बदलने का समय ह
अपने स्ारकारी आवास, टॉलिगंज से निकलकर नेताजी नगर के स्टूच्यू पर मिलने के वायदे के साथ पहुंचते हुए कोलकाता के सचेत नागरिक और हिन्दी के कवि नील कमल से मिलकर लौटा हूं। आज शनिवार है। कदम दर कदम मन्दिरों की...
View Articleसो गया दास्ताँ कहते-कहते
उसनेअपनीआत्मकथामेंएकजगहलिखाहै-उसवक्तहरकोईयुवाथालेकिनहमहमेशाअपनेसेअधिकयुवालोगोंसेमिलरहेथे. पीढियाँएकदूसरेसेआगेनिकलनेकोआतुरथीं...
View Articleचाय की प्याली में तूफान उठा देने वालों
हमारे सहयोगी यादवेन्द्र जी का यह आलेख उनके लेखन की ऐसी बानगी है कि हमारा आसपास बज बजाता हुआ सामने आने लगत है.आज सुबह चाय बना कर पीने ही जा रहा था कि एक मित्र का फ़ोन आ गया -- आम तौर पर देर से उठने के...
View Articleबारिश मेरा घर है
कुमार अनुपम की कविताओं का अपना मिजाज है जो न सिर्फ उनके शिल्प की बुनावट से बनता है बल्कि कथ्य में इतना तरल है कि एकाग्रचित हुए बिना पढ़े जाने पर जो कटोरे से छलकते पानी की तरह इधर उधर बिखर सकता है. यहां...
View Articleफैशनेबुल लेखन भी क्या कोई लेखन है
विजय गौड़शर्मिला इरोम किसी भी फैशनेबुल लेखन का विषय नहीं हो सकती। कम से कम हिन्दी भाषा में लिखे जा रहे साहित्य का जहां इतनी जलालत भरे समय में धकेली जा रही दुनिया के बावजूद फिर भी कुछ मूल्य ऐसे हैं...
View Articleमनुष्यता भी एक विचार है
- महेश चंद्र पुनेठा9411707470 किस पर लिखवाना और किससे लिखवाना के समीक्षात्मक वातावरण के बीच इस ब्लाग में पुस्तक समीक्षओं को आलोचक की स्वतंत्रता का साथ देने की कोशिश रही है। युवा कवि और आलोचक महेश...
View Articleपहला युगवाणी सम्मान कथाकार गुरूदीप खुराना को
किसी भी तरह के हो-हंगामें की बजाय और बिना किसी पूर्व घोषणा के अचानक से कथाकार गुरूदीप खुराना के घर पर पहुंचकर उन्हें पहले युगवाणी सम्मान से सम्मानित करना, देहरदून के साहित्य समाज के अनूठे अंदाज ने...
View Articleशंका समाधान
झूठ की खुल जाए पोलकितने टंगे हैं कपड़े इन बहुमंजिला इमारतों मेंकितनों से चू रहा है पानीकितने सूखने-सूखने को हैंलाल रंग के कितनेकितने रंग छोड़ते हुए हो गए धूसरअच्छा बताओसफेद रंग जो दूर तक दिख रहा,हर...
View Articleपसंद से ज्यादा नापसंद का इज़हार
--- यादवेन्द्र सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति वाला गोपाल सुब्रहमण्यम मामला अभी ठण्डा भी नहीं हुआ था कि वर्तमान शासन की सोच से मेल न खाती एक फ़िल्म के प्रति नापसंदगी...
View Articleस्कूली शिक्षा का प्रोजक्टीय रूप
समाज शास्त्री एवं स्कूली शिक्षा जैसे विषयों से लगातार टकराने वाले रचनाकार प्रेमपाल शर्मा जी का यह महत्वपूर्ण आलेख जनसत्ता से साभार प्रस्तुत है. आलेख आज के जनसत्ता में "दुनिया मेरे आगे"स्तम्भ में...
View Articleऑल द बेस्ट मॉ
हिन्दी कविता में पहाड़ के दर्द को दर्ज करने वाले कवियों के बीच रेखा चमोली की रचनाओं में पहाड़ की स्त्रियों के जीवन के अनेकों चित्र देखें जा सकते हैं। स्त्री विमर्श के व्यापक दायरे में उनके संकेत, बहुत...
View Articleउपन्यास अंश
एक हद तक अन्तिम ड्राफ्ट की ओर सरकते उपन्यास 'भेटकी"का यह एक छोटा-सा अंश है। कोशिश रहेगी कि अपने स्तर पर अन्तिम ड्राफ्ट को जल्द पूरा कर लूं और कुछ ऐसे मित्रों की मद्द से जो बेबाक राय देने में हिचकिचाहट...
View Articleमुश्किल रास्ता
प्रथम युगवाणी पुरस्कार से सम्मानीत कथाकार गुरूदीप खुराना का का उपन्यास ''रोशनी में छिपे अंधेरे" 1960 के आसापास के गुजरात की कथा को हमारे सामने रख्ता है। स्पष्ट है कि 1960 के आसपास जो स्थितियां थी उनसे...
View Articleप्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान २०१४
वर्ष २०१४ का प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान कथाकार अल्पना मिश्र को उनके उपन्यास 'अन्हियारे तलछट में चमका'के लिए दिए जाने की घोषणा की गयी है.२००६ से प्रतिवर्ष दिए जा रहे इस सम्मान का यह ७ वां संस्करण है...
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