चलचित्र
काश कोई ऐसा तरीका मेरे पास हो, मैं कहानी का पाठ करूँ और आप उसे दृश्य में देख सकें तो सम्भव है कि नवीन नैथानी की कहानी हत वाकके बारे में मुझे अलग से कुछ कहना न पड़े। 'स्मार्ट सिटी'की अवधारणा में उधेड़ी जा...
View Articleहिटलरी चिन्तन-पथ
पूर्वी कुमांऊ तथा पश्चिमी नेपाल की राजी जनजाति (वनरावतों) की बोली का अनुशीलन (अप्रकाशित शोध् प्रबंध) डॉ. शोभाराम शर्मा का एक महत्वपूर्ण काम है। उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल के पतगांव में 6 जुलाई 1933 को...
View Articleअमेरिका और लॉकडाउन के मायने
कोविड-19 नामक वैश्विक महामारी से निपटने के लिए जहां दुनिया के ज्यादतर देश लॉकडाउन के स्तर पर हैं, वहीं यह सवाल भी है कि बुरी तरह से प्रभावित अमेरिका ने आखिर अभी तक इस रास्ते् को क्यों नहीं अपनाया ?...
View Articleतीलै धारो बोला s s...
पूर्वी कुमांऊ तथा पश्चिमी नेपाल की राजी जनजाति (वनरावतों) की बोली का अनुशीलन (अप्रकाशित शोध् प्रबंध) डॉ. शोभाराम शर्मा का एक महत्वपूर्ण काम है। उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल के पतगांव में 6 जुलाई 1933 को...
View Articleरमाप्रसाद घिल्डियाल 'पहाड़ी'एवं भुवनेश्वर
झूठे अहंकार से मुक्ति का व्यवहार भी आधुनिकता का एक पर्याय है। अपने काम को विशिष्ट मानने के गुमान से भी वह झूठा अहंकार चुपके से व्यवहार का हिस्सा हो सकता है। रमाप्रसाद घिल्डियाल 'पहाड़ी'एवं...
View Articleडॉ राजेश पाल की कहानी आट्टे-साट्टे का मोल
हिदी कहानी में गांव की कहानी, पहाड़ की कहानी आदि आदि शीर्षकों से पृष्ठभूमि के आधार पर वर्गीकरण कई बार सुनाई देता है। पृष्ठभूमि के आधार पर इस तरह के वर्गीकरण से यह समझना मुश्किल नहीं कि बहुधा मध्य...
View Articleतितलियों का प्रारब्ध
हिदी साहित्य की दुनिया में समीक्षातमक टिप्पणी को भी आलोचना मान लेना बहुप्रचलित व्यवहार है। इसकी वजह से आलोचना जो भी व्यवस्थित स्वरूप दिखता है, वह बहुत सीमित है। दूसरी ओर यह भी हुआ है कि समीक्षा के नाम...
View Articleअगर धीमे बोलना है तो व्हिस्पर की सीमा क्या होनी चाहिये
इरफान खान को गए तकरीबन 1 महीने बीत चुके हैं। इरफान खान की 53 वर्ष की उम्र में कोलोन संक्रमण से 29 अप्रैल 2020 को मृत्यु हो गई ।गार्जियन के पीटर ब्रेड ने इरफान खान के बारे में लिखा है 'a distinguished...
View Articleदेह की मिटटी ठिठोली करती है
मंजूषा नेगी पांडेजनम : 24 अगस्तस्थान : कुल्लू , हिमाचल प्रदेश शिक्षा: हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय शिमला से राजनितिक शास्त्र में M .A मंजूषा नेगी पांडे की कविताओं में जीवन उस आंतरिक लय की तरह आता है...
View Articleथके न जो, डिगे न जो
राधाकृष्ण कुकरेती-स्मृति दिवस 15 सितंबर 1935 -17 जुलाई 2015अरविंद शेखरकिसी भी व्यक्ति के निर्माण में उसके जीवन में घटी घटनाओं और अनुभव का योगदान होता है। गौतम बुद्ध ने बूढ़े बीमार और मृत व्यक्तियों को...
View Articleअपने शब्दों में सेरेना विलियम्स
यह हमारे लिए गर्व की बात है कि वर्ष 2008 के आस-पास इंटरनेट की दुनिया में अपने लिखे हुए के प्रकाशन के लिए यादवेन्द्र जी ने सर्वप्रथम इस ब्लाग को ही चुना। दूसरी भाषओं के अनुवाद ही नहीं, यादवेन्द्र जी की...
View Articleव्यवस्था के खिलाफ विद्रोह की पुरज़ोर आवाज़: "अस्थिफूल"
2013 से 2019 तक का कोलकाता प्रवास जिन तीन बेहतरीन इंसानों की वजह से मेरे जीवन की अभिन्न स्मृति हुआ है, उनमें जीतेन्द्र जितांशु, नील कमल और गीता दूबे को भुला पाना नामुमकिन है। गीता के व्यवहार में...
View Articleछद्म नैतिकता पर प्रहार करतीं मुक्तिबोध की कहानियां
कहानी में कथा रस की सैद्धान्तिकी वाली आलोचना ने जो परिदृश्य रचा है, उसने आधुनिकता को महत्वपूर्ण तरह से अपने लेखन के जरिये स्थापित करने वाले रचनाकार मुक्तिबोध को कहानी की दुनिया से बाहर धकेला हुआ...
View Articleकहां हो साहेबराव फडतरे?
चाहता तो था कि यादवेन्द्र जी की इधर की गतिविधियों पर बात करूं। हमेशा के घुमडकड़ इस जिंदादिल व्यक्ति ने पिछले कुछ वर्षों से फोटोग्राफी को लगातार अपने फेसबुक वॉल पर शेयर किया है। उन छवियों में 'अभी...
View Articleराजनीति का काव्यात्मक लहजा- सीता हसीना से एक संवाद
पूंजीवादी संस्कृति की मुख्य प्रवृत्ति है कि नैतिकता और आदर्श का झूठ वहां बहुत जोर-जोर से गाया जाता है। विज्ञापनी जोश ओ खरोश के साथ। तानाकसी के चलन में पूंजीवादी चालाकियों का झूठा आदर्शीकरण किया जाता...
View Articleशास्त्रीय कला और अमूर्तता
वर्ष 2019में पहली बार बिभूति दास के चित्रों की एकल प्रदर्शनी देखने का अवसर मिला था। ऑल इण्डिया फाइन आर्टस एवं क्राफ्ट सोसाइटी, नई दिल्ली में आयोजित बिभूति दास के चित्रों उस प्रदर्शनी की याद दैनिक...
View Articleलहू बहाए बिना कत्ल करने की अदा
किंतु परन्तु वाले मध्यवर्गीय मिजाज से दूरी बनाते हुए नील कमल बेबाक तरह से अपनी समझ के हर गलत-सही पक्ष के साथ प्रस्तुत होने पर यकीन करते हैं। सहमति और असहमति के बिंदु उपजते हैं तो उपजे, उन्हें...
View Articleकमेरी औरत
यह गेहूं की फसल के तैयार होने का वक्त है। किसान खेतों की बजाए सड़कों पर हैं। उनकी नाराजगी उस सरकार से है, जो उनके जीवन व्यापार को ध्वस्त करने के लिए कानूनी वैधता का सहारा लेना चाहती है। उनका आक्रोश...
View Articleआक्रामक खेल के बीच शेष विरल कोमलता
यादवेन्द्रखेल आम तौर पर निर्मम आक्रामकता के लिए जाने जाते हैं - खास तौर पर आमने सामने एक दूसरे को चुनौती देने वाले खिलाड़ी ज्यादा रसहीन इंसान साबित होते हैं।टेनिस की दुनिया पर दशकों राज करने वाली...
View Articleखरीदने और बेचने की नैतिकता को मुंह चिढ़ाती कविता
आम की टोकरीएक बालमन की कविता है। आभारी हूं उन मित्रों का जिन्होंने कविता पर बहस करते हुए मुझे एक खूबसूरत कविता से परिचित कराया। इस कविता को पढ़ते मुझे एकाएक दो अन्य रचनाएं याद आई। कथाकार नवीन नैथानी...
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