वर्ष 2019में पहली बार बिभूति दास के चित्रों की एकल प्रदर्शनी देखने का अवसर मिला था। ऑल इण्डिया फाइन आर्टस एवं क्राफ्ट सोसाइटी, नई दिल्ली में आयोजित बिभूति दास के चित्रों उस प्रदर्शनी की याद दैनिक जीवन की गतिविधियों के अहसास से भरे चित्रों के रूप में बनी रही। लगातार के उनके काम से इधर गुजरना होता रहा।
जीवन के खुरदरे यथार्थ को करीब से व्यक्त करते उनके रंगों में अमूर्तता का वह भाव जो किसी बहुआयामी कविता को पढ़ते हुए होता है, शास्त्रीयकला का संग साथ होते उनके चित्रों में नजर आता रहा। उनके इधर के चित्रों से भी यह स्पष्ट दिखता है कि ऑब्जेक्ट के बाहरी रूप को हूबहूरचते हुए भी उनके ब्रश,रंगों को उस खुरदरेपनकी तरह फैलाते चल रह हैं, जो सिर्फ चाक्षुश अहसास नहीं छोड़ना चाहते। बल्कि दृश्य को घटनाक्रम के स्तर पर जाकर देखने को उकसाते हैं। फिर चाहे कोविड के दौरान दुनिया में छाया लॉक डाउन हो, एक पिता के भीतर अपनी बच्ची के प्रति अगाध स्नेह हो और चाहे किसी भूगोल विशेष का जनजीवन हो।
रंगों के संयोग से उभरती यह ऐसी अमूर्तता है जो चित्रों को एक रेखीय नहीं रहने देती है। बिभूति दास की यह रचनात्मक यात्रा उत्सुकता पैदा करती है।यहां प्रस्तुत हैं उनके कुछ चित्र।